इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) एक वित्तीय उपाय है जो कि भारत सरकार ने 2017 में शुरू किया था। यह एक प्रकार का शपथ पत्र है जिसके माध्यम से लोग राजनीतिक दलों को चंदा दे सकते हैं, लेकिन इसमें दानकर्ता का नाम नहीं होता है। इसका उद्देश्य यह है कि लोग अपनी पसंदीदा पार्टी को गुमनाम रूप से दान दे सकें।
![Electoral Bond Kya Hota hai: चंदा देने का गुमनाम माध्यम पर क्यों लगा दी गई रोक 1 Electoral Bond](https://bestlicplan.in/wp-content/uploads/2024/04/Electoral-Bond-1024x576.png)
Electoral Bond
इलेक्टोरल बॉन्ड का कामकाज
इस योजना के तहत, इलेक्टोरल बॉन्ड सिर्फ 15 दिनों के लिए वैध रहता है और इसे SBI (State Bank of India) के माध्यम से खरीदा जा सकता है। केवल उन राजनीतिक दलों को ही इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से चंदा मिल सकता है जिन्होंने पिछले आम चुनाव में कम से कम 1% वोट प्राप्त किया हो।
Supreme Court holds Electoral Bonds scheme is violative of Article 19(1)(a) and unconstitutional. Supreme Court strikes down Electoral Bonds scheme. Supreme Court says Electoral Bonds scheme has to be struck down as unconstitutional. https://t.co/T0X0RhXR1N pic.twitter.com/aMLKMM6p4M
— ANI (@ANI) February 15, 2024
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस योजना पर रोक लगा दी है और उसने कहा है कि इस योजना में अनुच्छेद 19(1)(A) का उल्लंघन है। इसके बावजूद, इलेक्टोरल बॉन्ड का उपयोग करने की प्रक्रिया काफी सरल है। डोनर को इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने के बाद किसी भी राजनीतिक पार्टी को डोनेट कर सकता है। इसके बाद, रिसीवर इसे कैश में कन्वर्ट करवा सकता है।
Electoral Bonds List
किस पार्टी को कितना चंदा मिला है, इसके बारे में आपको निचे एक टेबल के द्वारा बताया गया है।
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इलेक्टोरल बॉन्ड के प्रायोजन
इस तरह, इलेक्टोरल बॉन्ड एक माध्यम है जिसके माध्यम से राजनीतिक दलों को चंदा मिलता है और लोग अपनी पसंदीदा पार्टी का समर्थन कर सकते हैं। हालांकि, इसके इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के कारण इसकी वैधता पर सवाल उठा है और सरकार ने इसे लेकर नई नीतियां बनाने की जरूरत महसूस की है।